धनबाद के यूरोलॉजिकल सर्जरी विभाग में एक नई उपलब्धि हासिल हुई है। इस उपलब्धि का श्रेय डॉ. साकेत नारनोली (एमएस, एमसीएच यूरोलॉजी) को जाता है जो धनबाद में एक 70 वर्षीय रोगी के बायें गुर्दे के कैंसर के निदान के बाद रेडिकल नेफरेक्टोमी की पहली लेप्रोस्कोपिक सफलता हासिल की है।
लेप्रोस्कोपिक रेडिकल नेफरेक्टोमी एक यूरोलॉजिकल सर्जरी है जो किडनी के कैंसर के लिए किया जाता है। इस सर्जरी के दौरान, इलाक्ट्रोनिक उपकरणों का उपयोग करके, रोगी के गुर्दे का पूरा अंग निकाल दिया जाता है। यह सर्जरी रोगी के जीवन को बचाने वाली होती है, क्योंकि इसमें संभवतः कैंसर के बढ़ने और फैलने की संभावना को कम कर दिया जाता है। इस तकनीक का उपयोग करने से सर्जरी में छोटी छेद लगते हैं जो अस्तव्यस्त नहीं होते हैं, सर्जरी समय और रोगी के उपचार के दौरान कम दर्द होता है।
लेप्रोस्कोपिक रेडिकल नियोहेक्टोमी के अन्य फायदे हैं:
- कम खून और अल्प संक्रमण: इस तकनीक में कटौती बहुत हल्की होती है, जिससे रक्तस्राव की संभावना कम होती है और संक्रमण का खतरा भी कम होता है।
- कम दर्द और अल्प असुविधा: इस तकनीक में कटौती कम होती है, जिससे आमतौर पर प्रतिक्रियाशील अवधियों में कम दर्द और अल्प असुविधाएं होती हैं।
- त्वरित प्रतिशत: लेप्रोस्कोपिक रेडिकल नियोहेक्टोमी स्विफ्ट और निश्चित होती है। यह संभवतः स्टॉक में उपलब्ध चैम्बर या क्षेत्र में कम समय में संचालित की जाने वाली सबसे त्वरित तकनीक में से एक है।
- रिकवरी समय कम होता है: लेप्रोस्कोपिक रेडिकल नियोहेक्टोमी के बाद रिकवरी समय कम होता है और रोगी जल्द स्वस्थ होते हैं।
- अधिक सुरक्षित: इस तकनीक में संक्रमण का खतरा कम होता है और आपके शरीर के अंदर कोई बड़ी घाव नहीं होता है।
अब कोई भी यूरोलॉजिकल बीमारी, चाहे कोई भी यूरोलॉजिकल कैंसर हो, जैसे किडनी, यूरेटर, यूरिनरी ब्लैडर, प्रोस्टेट, पेनिस या टेस्टिस को ठीक किया जा सकता है और धनबाद में लैप्रोस्कोपिक रूप से संचालित किया जा सकता है।